गुलाम नबी आज़ाद ने एक बार फिर दिया कांग्रेस को बड़ा झटका, 42 और नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस अबतक 100 नेताओं ने दिए इस्तीफे

गुलाम नबी आज़ाद ने एक बार फिर दिया कांग्रेस को बड़ा झटका, 42 और नेताओं ने छोड़ी कांग्रेस अबतक 100 नेताओं ने दिए इस्तीफे

जम्मू कश्मीर (J&K) के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azaad) के कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद से उनके समर्थन में 42 और नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है। खबर है की ये सभी नेता गुलाम नबी आज़ाद की नयी पार्टी का हिस्सा बन सकते हैं. अब तक लगभग 100 लोग पार्टी से इस्तीफा दे चुके हैं. पार्टी से  इस्तीफ़ा देने के बाद से गुलाम नबी आजाद अपनी पार्टी बनाने की तैयारियों में लग चुके हैं। इस्तीफे के बाद से वे पहली बार सितम्बर में 4 तारीख को जम्मू (Jammu) में एक रैली को सम्बोधित करेंगे कयास यह भी लगाए जा रहे हैं की रैली के दौरान ही वे अपनी पार्टी बनाने की घोषणा भी कर सकते हैं, ठीक इसी दिन नई दिल्ली (New Delhi) में राहुल गाँधी ( Rahul Gandhi) महंगाई पर हल्ला बोल रैली निकाल विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, यह देखने लायक होगा की गुलाम नबी आजाद की जम्मू में रैली के साथ ही साथ नयी दिल्ली में राहुल गाँधी द्वारा होने जा रहे विरोध प्रदर्शन पर कितना असर पड़ेगा।

भाजपा प्रवक्ता शहनवाज़ हुसैन ने दी प्रतिक्रिया 

भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय प्रवक्ता व पूर्व केंद्रीय मंत्री शहनवाज़ हुसैन (Shehnawaz Hussain) ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए बोला की सभी बड़े नेता अब धीरे-धीरे कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा "कांग्रेस से बिछड़े सब बारी-बारी". आगे बोलते हुए उन्होंने कहा की "कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं को सम्मान नहीं दिया जाता, कांग्रेस अब वरिष्ठ नेताओं के स्वाभिमान का ख्याल भी नहीं रखती आजाद अब सही मायने में आजाद हुए हैं". वो दिन भी दूर नहीं हैं, जब कांग्रेस से सभी नेता आज़ाद होना चाहेंगे।

कांग्रेस में नहीं होती है सुनवाई 

कांग्रेस पर यह आरोप पहले भी लगता आया है की पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की कोई सुनवाई नहीं होती, इससे पहले भी पार्टी से मतभेद के चलते शहज़ाद पूनावाला जैसे काबिल नेताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था. शहनवाज़ हुसैन ने आगे कहा "जिन नेताओं से इंदिरा गाँधी व राजीव गाँधी भी सलाह लिया करते थे आज उनकी बात पार्टी के अंदर कोई नहीं सुनता"।

कुशाग्र उपाध्याय